आईआईटी बॉम्बे की इस खोज से ऑक्सीजन की कमी होगी दूर, जानें कैसी है यह तकनीक

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आईआईटी बॉम्बे की तकनीक

नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे ने देश में कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार के दौरान ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए एक नए तकनीक की खोज की है। इसमें नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन में बदल कर ऑक्सीजन की समस्या को दूर किया जा सकता है।

शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि इस प्रोजेक्ट का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया गया है। यह एक सरल तकनीक पर निर्भर करता है। इसमें पीएसए (घुमाव के दबाव से सोखना) नाइट्रोजन इकाई को पीएसए ऑक्सीजन यूनिट में बदल दिया जाता है।

आईआईटी बॉम्बे में किए गए प्रारंभिक परीक्षणों इसके परिणाम उत्तम आए हैं। इसमें 3.5 एटीएम दबाव पर 93 से 96 प्रतिशत शुद्धता की ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है। यह ऑक्सीजन गैस मौजूदा अस्पतालों में कोविड से संबंधित जरूरतों को पूरा करने तथा भविष्य की कोविड-19 की विशिष्ट सुविधाओं के लिए ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति करने के काम में ली जा सकती है।

बता दें कि यह पायलट प्रोजेक्ट पीएसए नाइट्रोजन और ऑक्सीजन प्लांट के उत्पादन से संबंध रखने वाले आईआईटी बॉम्बे, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और स्पैन्टेक इंजीनियर्स, मुंबई के बीच एक साझा प्रयास है।

आईआईटी बॉम्बे के रेफ्रिजरेशन और क्रायोजेनिक्स लैब का उपयोग करते हुए स्पांटेक इंजीनियर्स ने मूल्यांकन के लिए आईआईटी बॉम्बे में आवश्यक प्लांट घटकों को स्थापित किया। प्रयोग के लिए यह सेटअप तीन दिनों के भीतर तैयार किया गया। इसके प्रारंभिक परीक्षणों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं।

आईआईटी बॉम्बे के निदेशक प्रो. सुभाशीष चौधरी ने परियोजना में शामिल सभी पक्षों को बधाई दी और कहा कि हमारे देश के विकास और सफलता के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच इस तरह की साझेदारी बेहद आवश्यक है।